Book Title: Sramana 1991 07
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 194
________________ ( १९२ ) संस्करण एवं विविध भक्तियां आदि विषयों को स्थान दिया गया है। उक्त विषयों के अन्तर्गत विभिन्न प्रतिभा सम्पन्न व्यक्तियों के आलेख, संस्मरण एवं कहानियों को रखा गया है। कथाओं का संकलन बड़ी सजगता से उद्देश्य पूर्ण ढंग से किया गया है। प्रस्तुत अंक की माजसज्जा एवं छपाई निर्दोष है। यह अंक प्रत्येक श्रद्धालु हेतु पठनीय एवं संग्रहणीय है। डॉ० इन्द्रेशचन्द्र सिंह शुक्ल जैन रामायण - लेखक : मुलखराज जैन, प्रकागक : आइडियल प्रकाशन शिवपुरी, लुधियाना; आकार : डिमाई; पृ० म० १७८, मूल्य : ५० रु०, संस्करण : प्रथम १९९० । शुक्ल जैन रामायण प्राचीन जैन राम काव्य-परम्परा में मुनि शुक्लचन्दजी रचित हिन्दी का एक चरित काव्य है। डॉ० मुलखराज जैन ने इसका आलोचनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया है तथा जैनेतर रामायणों से तुलना प्रस्तुत कर जैन मान्यताओं की विशेषता को स्थापित किया है। संस्कार-लेखक : पं० रतनचन्द भारिल्ल, प्रकाशक : पं० टोडरमल स्मारक ट्रस्ट, ए ४ बापू नगर, जयपुर; आकार : डिमाई; पृ० सं० २२४; मूल्य : सजिल्द ८ रु०, संस्करण : प्रथम १९९० । प्रस्तुत कृति में विविध कथानकों के माध्यम से जैन सिद्धान्तों का सफल निरूपण किया गया है । प्रस्तुत पुस्तक की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें साम्प्रदायिक सद्भाव को पूरी तरह सुरक्षित रखते हुए जैन आचार और तत्त्व विचार को बहुत ही सशक्त भाषा में प्रस्तुत किया गया है। इसलिए यह कृति जैन-अजैन सभी सम्प्रदायों के लिए समान रूप से पठनीय है। बौद्ध दोहाकोश-सम्पा० : डा० भागचन्द्र भास्कर एवं डार पुष्पलता जैन; प्रकाशक : सन्मति रिसर्च इन्स्टीट्यूट आफ इण्डोलाजी, सदर, नागपूर; आकार : डिमाई, पृ० सं० : ५०; मत्य : १०.०० २०; संस्करण : प्रथम १९८९ । सिद्ध सरहपादकृत बौद्ध दोहाकोश (गीति) का हिन्दी अनुवाद डा० भागचन्द्र भास्कर ने बड़ी सहज शैली में प्रस्तुत किया है। इनकी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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