Book Title: Sramana 1991 07
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 186
________________ ( १८४ ) भाई मालवणिया न केवल जैन विद्या के शीर्षस्थ विद्वान् हैं अपितु वे एक महामानव भी हैं। इसी प्रसंग पर आदरणीय पं० दलसुख भाई मालवणिया ने आगम, अहिंसा-समता एवं प्राकृत संस्थान, उदयपुर की ओर से प्रकाशित और श्री सुरेश सिसोदिया द्वारा अनूदित महाप्रत्याख्यान प्रकीर्णक का विमोचन किया। अपने सम्मान के प्रत्युत्तर में पं० जी ने कहा-'यह मेरा सम्मान नहीं अपितु जैन विद्या का सम्मान है, मैं तो समाज का अत्यन्त आभारी हूँ कि उसने मेरे व्यक्तित्व के निर्माण से लेकर आज तक मुझे स्नेह और आदर प्रदान किया।' ज्ञातव्य है कि इन्हीं कार्यक्रमों की शृङ्गला में 'जैन जर्नल रजत जयंती महोत्सव समिति, तेरापन्थी जैन सभा एवं स्थानकवासी जैन सभा की ओर से भी पण्डित जी का सम्मान किया गया।' जैन जर्नल रजत जयन्ती महोत्सव समिति ने 'जैन जर्नल' के यशस्वी सम्पादक एवं जैनविद्या के समर्पित साधक श्री गणेश ललवानी का भी सम्मान किया और उन्हें १२५००० रु० की सम्माननिधि प्रदान की गयी। इसी प्रसंग पर जैन भवन की ओर से 'जैन्थोलोजी' एवं जैन जर्नल रजत जयन्ती अंक तथा पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान, वाराणसी द्वारा प्रकाशित एवं (श्रीमती) डा० राजेश जैन द्वारा लिखित 'मध्यकालीन राजस्थान में जैन धर्म' नामक पुस्तक का विमोचन हआ। इन सभी कार्यक्रमों का संचालन श्री भूपराज जी जैन ने किया और श्री सरदारमल कांकरिया ने आभार व्यक्त किया। डा० सागरमल जैन पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान वाराणसी-५ जैन साधना पर संगोष्ठी श्री स्थानकवासी जैन सभा, कलकत्ता द्वारा दिनांक ०-१२-९१ को जैन भवन में जैन साधना पर एक विद्वत् संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस गोष्ठी के मुख्य अतिथि श्री भंवरलाल जी नाहटा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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