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तालिका-३
कक्कसूरि जिनचन्द्रगणि कुलचन्द्रगणि
अपरनाम देवगुप्तसूरि [वि०सं० १०७३/ई० सन् १०१७ में नवपदप्रकरण के रचनाकार कक्कसूरि [पंचप्रमाण के कर्ता]
। [वि०सं० १०७८/ई० सन् १०२२ प्रतिमालेख सिद्धसूरि देवगुप्तसूरि [द्वितीय]
उपकेशगच्छ का संक्षिप्त इतिहास
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सिद्धसूरि [वि०सं० ११९२/ई० सन् ११३६ में यशोदेव उपाध्याय पूर्वनाम धनदेव क्षेत्रसमासवृत्ति; [वि०सं० १२०३ वि०सं० ११६५/ई० सन् ११०९ में प्रतिमालेख
नवपदप्रकरणबृहद्वृत्ति एवं
वि०सं० ११७८/ई० सन् ११२२ में चन्द्रप्रभचरित ककुदाचार्य कक्कसूरि (चौलुक्यनरेश कुमारपाल- के कर्ता
वि०सं० ११९९-१२३० के समकालीन) | वि०सं० ११७२-१२१२ प्रतिमालेख
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