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उपकेशगच्छ का संक्षिप्त इतिहास
मुनिशीलसुन्दर
वाचक मतिशेखर वि०सं० १५१४ में धन्नारास एवं वि०सं० १५३७ में मयणरेहारास के कर्ता
देवगुप्तसूरि [वि०सं० १५२८.१५५७] प्रतिमालेख सिद्धसूरि [वि०सं० १५६६-१५९६] प्रतिमालेख
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हर्षसमुद्र
उपा० रत्नसमुद्र
कक्कसूरि [वि०सं० १६०२ में रचित
मंगावतीचौपाई में उल्लिखित]
वाचक विनयसमुद्र [वि०सं० १५८३ में आरामशोभाचौपाई वि०सं० १६०२ में मृगावतीचौपाई] के रचनाकार
साध्वी रंगलक्ष्मी [वि०सं० १५९१ में इनके पठनार्थ मयणरेहारास की प्रतिलिपि की गयी]
देवगुप्तसूरि ।
[वि०सं० १६३४ प्रतिमालेख]
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