Book Title: Solahkaran Dharma Dipak
Author(s): Deepchand Varni
Publisher: Shailesh Dahyabhai Kapadia

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Page 102
________________ ___ सोलहकारमा उपर कहीं नई षोड्या भावनाओंका यथार्थ पालन करनेसे, मोर तो क्या; किन्तु तोपकर पदकी प्राप्ति होती है इसलिये . पाशक्ति प्रत्येक नरनारियोंको पे धारण करना चाहिये ।। __ जैसा कि कहा हैपोइस कारण भावन निर्मल, मन बच काय सम्हार के बारे । ' कर्म अनेक इने अति दुर्घर,जन्म जरा भय मृत्यु निवारे ॥ दुःख दरिद विपत्ति हरे. भवसागरको परपार उतारे । पान कहे या पोरस कारण, कम निवारण सिद्धि सुठारे ॥ ।। इति षोडसकारण भावना ॥ n di.kuari - INTra hi.

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