Book Title: Shravakachar Sangraha Part 1
Author(s): Hiralal Shastri
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 11
________________ श्रावकाचार-संग्रह २७ م २९-९८ له سه له سه للم سه ३३-५६ ६४-७४ ७५ ७९-८४ / परिग्रह-विरत श्रावकका वर्णन अनुमति-विरत श्रावकका वर्णन उद्दिष्ट आहार-विरत श्रावकका वर्णन ३. महापुराणान्तर्गत-श्रावक-धर्म भरतचक्रीका दिग्विजयसे लौटने पर अपनी सम्पत्तिके सदुपयोगका विचारव्रतीजनोंकी परीक्षा और उनका सन्मान कर ब्राह्मणवर्णकी स्थापना नित्यमह आदि चार प्रकारकी पूजाओंका निरूपण चार प्रकारकी दत्तियोंका निरूपण वत्ति-भेदसे चारों वर्णों का निरूपण श्रावकके करने योग्य तीन क्रियाओंका वर्णन गर्भान्वय क्रियाओंके ५३ भेदोंका पृथक्-पृथक् वर्णन दीक्षान्वय क्रियाओंके ८ भेदोंका पृथक्-पृथक् वर्णन कन्वय क्रियाके ७ भेदोंका विस्तृत वर्णन गर्भाधानादि क्रियाओंके पूर्व आवश्यक कार्योंका निदेश उक्त क्रियाओंके समय वोले जाने वाले पीठिका मंत्रोंका वर्णन ऋषिमंत्रोंका वर्णन गर्भाधान-मंत्र धृतिक्रिया-मंत्र मोदक्रिया-मंत्र प्रियोद्भव-मंत्र बहिर्यानक्रिया-मंत्र अन्नप्राशनक्रिया-मंत्र चौल कर्म-मंत्र लिपिसंख्यान-मंत्र उपनीतिक्रिया-मंत्र उपनीति संस्कार वालेके बाह्य चिन्ह व्रती द्विजोंके दश अधिकारोंका वर्णन पुरुषार्थ सिद्धयुपाय मंगलाचरण पूर्वक ग्रन्थोद्धारकी प्रतिज्ञा चिदात्मा पुरुषका स्वरूप पुरुषार्थकी सिद्धिका उपाय सम्यग्दर्शनका आठ अंगोंके साथ स्वरूप-निरूपण सम्यग्ज्ञानका आठ अंगोंके साथ स्वरूप-निरूपण सम्यक् चारित्रका स्वरूप और भेद अहिंसा व्रतका स्वरूप ९२ ९९-१२२ १०१ १०२ १०३ १०३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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