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( ७ ) उपदेश दिया कि “ऐसाही खूब २ होओ" यह कहते जाओ। लडका आगे बढा । कुछ दूर जाकर एक मृतक शव मिला । उसे देखकर इसने चिल्लाना शुरू किया " ऐसाही खूब २ होओ" मृतकके साथके लोगोंने इसे यह कहनेसे मना किया व " ऐसा कभी न हो" यह कहते जाने के लिये कहा। इन शब्दोंने एक विवाह प्रसंगमें इस लडकेको खूब पिटवाया तथा शिक्षा मिली कि " हमेशा ऐसाही हो" यह कहते हुए जाओ। ज्योंही आगे बढा कि एक हथकडीबेडीसे जकडा हुआ जागीरदार कैदी मिला। उसे देखकर इसने कहना शुरू किया कि "हमेशा ऐसा ही हो" यह सुन उस कैदीके पक्षवाले ने इसे उपदेश किया कि ऐसे समय पर "शीघ्र छूट जाओ" यह कहना चाहिये । पश्चात् कुछ मित्रोंने जो कि परस्पर संगठन कर रहे थे इसे "शीघ्र छूट जाओ" इन शब्दोंसे अप्रसन्न होकर बहुतही मारा । कुछ कालके अनन्तर इस लडकेने एक सरदारके पुत्रके पास नौकरी करली। एक समय बड़ा दुष्काल पडा। धान्यके अभावसे उक्त सरदारपुत्रकी स्त्रीने राबडी तैयार करके इस लडकेको अपने पतिको बुलानेके लिये भेजा। उस समय सरदार-पुत्र राजसभामें बैठा हुआ था। इस मूख लडकेने वहीं जाकर उन्न-स्वरसे कहा कि " राबडी तैयार होगई है, चलिये " इन शब्दोंसे सरदार-पुत्र बहुत लज्जित हुआ व उक्त लडकेको योग्य दंड देनेके बाद समझाया कि " ऐसी बात मौका देखकर कानमें कहना चाहिये । दैवात् दूसरे दिन सबेरे