Book Title: Shastra Sandeshmala Part 23
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
इगवण्णा चउवीसं, सया उ सयरि अडसीइ भागा य। जम्मुत्तरवित्थारो, अडसीइ गुणो उ विवरीओ ॥६३२ ॥ पउमे उ महापउमे, रुक्खा उत्तरकुरूसु जंबुसमा । एएसु वसंति सुरा, पउमे तह पुंडरीए य
।। ६३३ ॥ धायइसंडयमेरुहिं, समाणा दोऽवि मेरुणो नवरि । आयामो विक्खंभो उ, दुगुणिओ भद्दसालवणे ॥६३४ ॥ सीयासीओयवणा, तेवीस सहस्स ति सय छस्सयरा। सलिला तिण्णि सहस्सा, वक्खारा सोलस सहस्सा ॥६३५ ॥ मेरू चउणउइ सए, मेरुस्सुभओ वणस्सिमं माणं । सोलसहिय पंचसया, इगतीस सहस्स लक्ख चऊ ॥६३६ ।। सव्वं पि इमं मिलियं, हवंति चत्तारि सयसहस्साई । तेसीइं च सहस्सा, बाणउया दोण्णि उ सयाई
॥६३७॥ दीवस्स उ विक्खंभा, एयं सोहेउ जं भवे सेसं । सोलसविहत्तलद्धं, जाणसु विजयाण विक्खंभं । उणवीस सहस्साई, सत्तेव सया हवंति चउणउया। भागा चउरो य भवे, विजयाणं होइ विक्खंभो ॥६३९॥ अट्ठहिया सत्त सया, सोलस साहस्सिया तिलक्खं च।। विजया खित्तपमाणे, वणनइमेरूवणे छूढे
॥६४०॥ जायं चुलसीइ सहस्सा, सत्त लक्खा उ दीवओ सोहे। सेसट्ठहिए भागे, वक्खारगिरीण विक्खंभो
॥ ६४१॥ सत्ताणउइ सहस्सा, सत्त य लक्खा उ दीवओ सोहे। सेसस्स य छब्भाए, विक्खंभो अंतरनईणं
॥ ६४२॥ छावत्तरी सहस्सा, सत्त य छसय चउवीसा। दीवाओ सोहेओ, सेसद्धं वणमुहं जाण
॥६४३ ॥
॥ ६३८ ॥
3२१
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430