Book Title: Shastra Sandeshmala Part 23
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

View full book text
Previous | Next

Page 409
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥ ११३ ॥ ॥ ११४॥ ॥ ११५ ॥ ॥ ११६ ॥ || ११७॥ कासवगोत्ता सव्वे चउद्दसरयणाहिवा समक्खाया। देविंदवंदिएहिं जिणेहिं जियरागदोसेहिं पढमा होइ सुभद्दा भद्द सुनंदा जया [य] विजया य । किण्हसिरी सूरसिरी पउमसिरी वसुंधरा देवी॥ लच्छिमती कुरुमती इत्थीरयणाण नामाणि तिवि य दुव य सयंभू पुरिसुत्तमे पुरिससीहे य । तह पुरिसपुंडरीए दत्ते नारायण(णे) कण्हे अयले विजए भद्दे सुप्पभे य सुदंसणे आणंदे । नंदणे पउमे रामे आवि अपच्छिमे आसग्गीवे तारए मेरए महु केटवे निसुंभे य । बलिप(प्प)हराए तह रावणए नवमे जरासिंधू पोय बारवई तिग अस्सपुरं तह य होइ चक्कपुरं। वाणारसी रायगिहं अपच्छिमो जाओ महुराए हवइ पयावई बंभो रुद्दो सोमो सिवो महसिवो य। अग्गिसीहे दड्ढरहे नवमे भणिए य वसुदेवे मिगावई उमा चेव पुहवी सीया य अमया लच्छिवई । सेसवई केगई देवई य................ भद्द सुभद्दा सुप्पभ सुदंसणा विजया वेजयंती। तह जयंती य अपरा-जिया य तह य रोहिणी चेव वसुभूई पव्वइए धणदत्त समुद्ददत्त सेवाले। पियमित्त ललियमित्ते पुणव(व्व)सू गंगदत्ते य एयाइं नामाइं पुव्वभवे आसि वासुदेवाणं । एत्तो बलदेवाणं जहक्कमम्मि (कम) कित्तइस्सामि ॥११८॥ ॥ ११९ ।। ॥ १२० ॥ ॥ १२१ ॥ ॥ १२२ ॥ ॥१२३॥ ४०२ For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430