Book Title: Shastra Sandeshmala Part 23
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 410
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org विसनंदी सुबंधूए सागरदत्ते असोग ललिए य । वाराहे धणसेणे अपराइय रायललिए य संभूय सुभद्द सुदंसणेय सेयंस कण्ह गंगदत्ते य । सागर समुद्दनामे दुमसेणे य अपराइ पच्छिमे एए पुव्वायरिया कित्तीपुरिसाण वासुदेवाणं । पुव्वभवे आसि (सी) या जत्थ नियाणाइ कासीय महुराए कणगवत्थु सावत्थी पोयणं च रायगिहं । कायंदी मिहिला वि य वाणारसी हत्थिणपुरं च गावी जूए य संगामे इत्थी पाराईए य रंगम्मि । भज्जाणु रागगुट्टी परइड्ढी माउगाइ य महसुक्का पाणय लं- तगाओ सहसारओ य माहिंदा । बंभा सोहम्म सणं- कुमार नवमो महासुक्को तिण्णेव अणुत्तरेहिं तिण्णेव भवे तहा महासुक्का । अवसेसा बलदेवा अणंतरं बंभलोगचुया परियाओ पव्वया (ज्जा) भावाओ नत्थि वासुदेवाणं । होइ बाणं सो पुण पढमाणुओगाओ नायव्वो एगो य सत्तमा पंच य छट्ठी पंचमी एगो । एगो य चउत्थीए किण्हो पुण तच्चपुढवीए अतकडा रामा एगो पुण बंभलोगकप्पम्मि । उaaण्णो तत्थ भोए भुक्तं अयरोपमा दसओ तत्तो य चइत्ताणं इहेव ओसप्पिणीइ भरहम्मि । भवसिद्धिओ य भगवं सिज्झिस्सइ किण्हतित्थम्मि Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनियाणकडा रामा सव्वे वि य केसवा नियाणकडा । उगामी रामा केसव सव्वे अहोगामी 803 For Private And Personal Use Only ।। १२४ ।। ॥। १२५ ।। ॥ १२६ ॥ ॥ १२७ ॥ ॥ १२८ ॥ ॥ १२९ ॥ ॥ १३० ॥ ॥ १३१ ॥ ॥ १३२ ॥ ॥ १३३ ॥ ।। १३४ ॥ ॥ १३५ ॥

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