Book Title: Shastra Sandeshmala Part 23
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 407
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जेट्ठा कित्तिय साई सवणो हत्थुत्तरा महाओ य । रोहिणी उत्तरासाढा मिगसिरि तह य असणि पुस्सो ॥८९ ।। वसुभूई धणमित्ते धमिल धणदेव मोरिए चेव । देवे वसू य दत्ते, बले य पियरो गणहराणं ।। ९० ॥ पुहवी य वारुणी, भद्दिला य विजयादेवी तहा जयंती य । नंदा य वरुणदेवी अइभद्दा य मायरो ।। ९१ ॥ तिण्णि य गोयमगोत्ता भारदा अग्गिवेस वासिट्ठा । कासव गोयम हारीय कोडिण्णदुगं च गोत्ताई ॥ ९२ ॥ पण्णा बायालीसा बायाला होइ पण्णपण्णा य । तेवण पंचसट्ठी अडयालीसा य बायाला ॥ ९३ ॥ छत्तसा सोलसग्गं अगारवासो भवे गणहराणं । छउमत्थपरियागं अहकम्मं कित्तइस्सामि ॥ ९४ ॥ तीसा बारस दसगं बारस बायाल चउदसदुगं च । नवगं बारस दस अट्ठगं च छउमत्थपरियाओ ॥ ९५ ॥ बारस सोल अट्ठार अट्ठारसेव अद्वेव सोलस। सोलसि गवासा चउदस सोले य सोले य ।। ९६ ॥ बाणउई चउहत्तरि सत्तरि ततो भवे असिईया । एगं च सयं ततो तेसीइ पंचनउई य अट्ठत्तरं च वासा ततो बावतरं च वासाइं। बावट्ठी चत्त खलु सव्वे गणहराऊय एय ।। ९८॥ सव्वे वि माहणा जच्चा सव्वे अज्झावया विऊ । सव्वे दुवालसंगी य सव्वे चउद(६)सपुव्विणो || ९९ ॥ परिनिव्वुया गणहरा जीवंते नायए नवजणाओ। इंदभूई सुहम्मे य रायगिहे निव्वुए वीरे ॥ १०० ॥ ॥ ९७॥ ४०० For Private And Personal Use Only

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