Book Title: Shastra Sandeshmala Part 23
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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॥ ३३४ ॥
पलि अद्धं १६ कोडि सहस्स वरिस ऊणोय पलिअ चउभागो १७ । वरिसाण कोडि सहसो २८ लक्खा चउपण्ण १९ छ २० प्पंच २१ ३३२ पउण चुलसीइ सहसा २२ अड्डाइ सयत्ति २३ अंतर तिवीसे॥ २४ ॥ अयरेगकोडि कोडि, बायाल सहस्सवरिसूणा ॥३३३ ॥ उसहे मरीइपमुहा, सिरिवम्म निवाइया सुपासजिणे । हरिसेणं विस्सभूई, सीयल तित्थम्मि जिणजीवा सेअंसे सिरिकेऊ, तिविट्ठमरुभूइ अमियतेअधणा । वसुपुज्जे नंदण नद संख सिद्धत्थ सिरिवम्मा ॥ ३३५ ॥ सुवए रावणनारयनामा नेमिम्मि कण्हपमुहा य । पासे अंबड सच्चइ, आणंदा वीरिसेणियाईया ॥ ३३६ ॥ सेणिय १ सुपास २ पोट्टिल ३उदाइ ४ संखे ५ दढाउ ६ सयगे य ७ । रेवइ ८ सुलसा ९ वीरस्स २४ बद्धतित्थ त्तणा नवओ ॥ ३३७ ॥ भीमावलि १ जियसत्तू २ रुद्दो ९ विस्सानलो १० य सुपइट्ठो ११ । अयलो १२ अ पुंडरिओ १३ अजिअधरो १४ अजिअनाभो य १५ पेढालो १६ तह सच्चइ २४ एए रुद्दा इगारसंगधरा । उसहाजिअ सुविहाई, अडजिण सिरिवीरतित्थभवा ॥३३९ ॥ जइणं सइवं संखं, वेअंतियनाहिआण बुद्धाणं । वइसेसियाण वि मयं, इमाई सग दरिसणाई कमा ॥३४०॥ तिणि उसहस्स तित्थे, जायाइं सीअलस्स ते दुण्णि। दरिसणमेगं पास-स्स सत्तमं वीरतित्थम्मि
।। ३४१॥ अट्ठत्तरसय सिद्धि, पूया अस्संजयाण हरिवंसो। थीरूवो तित्थयरो, कण्हावरकंकगमणं च
।। ३४२ ॥
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