Book Title: Shastra Sandeshmala Part 23
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 371
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जम्मं व मासपक्खा , नवरं सुवयस्स सुद्धफग्गुणिओ। नमिवीराण वयम्मी, कसिणा आसाढमग्गसिरा || १४५ ॥ अट्ठमि १ नवमी २ पुण्णिम ३ । दुदसि ४ नवमि ५ तेरसी तिगं ८ छट्ठी ९ । बारसि १० तेरसि ११ पनरसि १२, चउत्थि १३ चउदसि अ १४ तेरसीआ १५ ॥ १४६ ।। चउदसि १६ पंचमि १७ गारसि १९ बारसि अ २० नवमि २१ छवी अ २२ ।। एगारसि २३ दसमि २४ तिहि, वयम्मि उडुरासिपुव्वं व ॥१४७ ॥ कुमरत्ते पढमवए, वसुपुज्जो मल्लि नेमि पासो य । वीरो वि अ पव्वइया, सेसा पच्छिमवयम्मि निवा ॥ १४८॥ सुमइस्स निच्चभत्तं, मल्लीपासाण अट्ठमो आसि । वसुपुज्जस्स चउत्थं, वयम्मि सेसाण छट्ठतवो ॥१४९ ॥ सिबिया सुदंसणा सुप्पभा य सिद्धत्थ अत्थसिद्धा य। अभयंकरा य निव्वुइकरा, मणोहर मणोरमिया ॥१५० ॥ सूरपहा सुक्कपहा, विमलपहा पुहवि देवदिण्णा य । सागरदत्ता तह नागदत्त सव्वट्ठ विजया य ॥ १५१ ।। तह वेजयंतिनामा, जयंति अपराजिया य देवकुरू। बारवई अ विसाला, चंदपहा नरसहसवुज्झा ॥ १५२ ॥ वसुपुज्जो छसयजुओ, मल्ली पासो अ नरतिसयसहिया। चउसहसजुओ उसहो, इगु वीरो सेस सहसजुया ॥ १५३॥ नेमी बारवईए, सेसा जम्मणपुरीसु पव्वइआ। सिद्धत्थवणे उसहो, विहारगेहम्मि वसुपुज्जो ॥ १५४॥ 3१४ For Private And Personal Use Only

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