Book Title: Shastra Sandeshmala Part 23
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

View full book text
Previous | Next

Page 386
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥ ३०१ ॥ ॥ ३०२॥ ॥३०३॥ ॥३०४॥ इगवीसं चउपण्णा, सनवसया सड्डसत्त सड्ढदुगं । तो सत्तसया सयरी, दुचत्तवासाणि वयकालो सव्वाउ चुलसि १ बिसयरि २सट्ठि ३ पण्णा ४ चत्त ५ तीस ६ वीस ७ दस ८ । दो ९ एगपुव्व लख्खा १०, सम चुलसी ११ बिसयरी १२ सट्ठी १३ तीस १४ दस १५ एग लख्खा १६, वरिसाणं सहस पण नवइ १७ चुलसी १८ । पणपण्ण १९ तीस २० दस २१ इग २२सहसा वरिस सय २३ दुगसयरी २४ चुलसीइ वरिस लक्खा, पुव्वंगं तग्गुणं भवे पुव्वं । तं सयरिकोडिलख्खा, वरिसा छप्पनसहसकोडी पुव्वंगहयं पुव्वं, तुडियंगं वासकोडिकोडीओ। गुणसट्ठि लक्ख सगवी-ससहस चत्ता य रिसहाउं माहस्सकिण्हतेरसि, दोसुं सिअ चित्तपंचमी नेआ। वइसाहसुद्धअट्ठमि तहचित्तेसुद्धनवमी अ कसिणामग्गइगारसि, फग्गुण भद्दवय सत्तमी किण्हा । भद्दवयसुद्धनवमी, वइसाहे बहुलबीया अ कसिणा सावण तइया, आसाढे तहय चउदसी सुद्धा। आसाढ कसिणसत्तमि सिअपंचमिचित्तजिटेसु जिटेकसिणातेरसि वइसाहेपडिव मग्गसिअदसमी । फग्गुणसुद्ध दुवालसि किण्हा नवमी अ जिट्ठस्स वइसाहअसिअ दसमी, आसाढे सावणेऽट्ठमी सुद्धा। कत्तियमावसि सिवमासमाइ भणिआ जिणिदाणं ॥३०५॥ || ३०६॥ ॥ ३०७॥ ॥ ३०८॥ ॥३०९॥ ॥३१०॥ 306 For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430