Book Title: Shastra Sandeshmala Part 23
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 373
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org पण दिव्वा जलकुसुमाण, वुट्ठि वसुहार चेलउक्खेवो । दुंदुहिझुणी सुराणं, अहो सुदाणं ति घोसणया सङ्घदुवालसकोडी - सुवण्णवुट्ठी य होइ उक्कोसा । लक्खा सड्ढदुवालस, जहण्णिया होइ वसुहारा बार ट्ठ छमास तवो, गुरु आइमज्झचरिमतित्थेसु । तेस बहुभिग्गहा दव्वमाइ वीरस्सिमे अहिआ अचियत्तुग्गहनिवसण, निच्चं वोसट्टकाय मोणेणं । पाणीपत्तं गिहिवंदणं, अभिग्गहपणगमेअं आरियमणारिएसुं, पढमस्स य नेमिपासचरिमाणं । सेसाण आरिए छउमत्थत्ते विहारो अ वाससहस्सं १ बारस २ चउदस ३ अट्ठार ४ वीस ५ वरिसाई । मासा छ ६ नव ७ तिण्णि अ ८, चउ ९ तिग १० दुग ११ मिक्कग १२ दुगं च ति १४ दु १५ इक्कम १६ सोलसगं १७, वासा तिणि अ १८ तहेव होरत्तं १९ । मासेक्कारस २० नवगं २१, चउपण दिणाइ २२ चुलसीई २३ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पक्खहिसड्ढ बारस २४ वासा छउमत्थकालपरिमाणं । उग्गं च तवोकम्मं, विसेसओ वद्धमाणस्स छ दुमासिअ दु दिवड्डयमासिअ बारस तहेगमासी अ । बावत्तरद्धमासिअ, पडिमा बारटुमेहिं च 399 For Private And Personal Use Only ॥ १६७ ॥ ॥। १६८ ।। ॥ १६९ ॥ ॥ १७० ॥ ॥ १७१ ॥ ॥ १७२ ॥ वयदिणमेगं पुण्णं, छमासिअं बीअयं पणदिणूणं । नव चउमासिअ दुतिमासिअ अड्डाइज्जमासिआ दुणि ॥ १७५ ॥ ॥ १७३ ॥ १७४ ॥ ॥ १७६ ॥

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