Book Title: Shastra Sandeshmala Part 23
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 348
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥ २१८॥ सव्वे सवेइअंता पढमचउक्कम्मि तेसि नामाई । एगोरुअ आभासिअ वेसाणिअ चेव लंगूले ॥ २१४ ॥ बीअचउक्के हयगयगोसक्कुलिपुव्वकण्णणामाणो । आयंसमिढगअओगोपुव्वमुहा य तइअम्मि ।। २१५ ॥ हयगयहरिवग्घमुहा चउत्थए आसकण्ण हरिकण्णो। अकण्णकण्णपावरणु दीवो पंचमचउक्कम्मि ॥ २१६॥ उक्कमुहो मेहमुहो विज्जुमुहो विज्जुदंत छट्ठम्मि। सत्तमगे दंतंता घणलट्ठनिगूढसुद्धा य ॥ २१७ ॥ एमेव य सिहरिम्मि वि अडवीसं सव्वि हुंति छप्पण्णा । एएसु जुअलरूवा पलिआसंखंसआउ णरा जोअणदसमंसतणू पिट्ठिकरंडाणमेसि चउसट्ठी । असणं च चउत्थाओ गुणसीदिणवच्चपालणया ॥ २१९॥ पच्छिमदिसि सुत्थिअलवणसामिणो गोअमु त्ति इगु दीवो । उभओ वि जंबुलावण दुदु रवि दीवा य तेसिं च ॥ २२० ॥ जगइपरुप्परअंतरि तह वित्थर बार जोअणसहस्सा । एमेव य पुव्व दिसि चंदचउक्कस्स चउदीवा ॥२२१ ।। एवं चिअ बाहिरओ दीवा अट्ठट्ठ पुव्वपच्छिमओ। दु दु लवण छ छ धायइसंड ससीणं रवीणं च || २२२ ।। एए दीवा जलुवरि बहि जोअण सड्ढअट्ठसीइ तहा। भागा वि अ चालीसा मज्झे पुण कोसद्गमेव || २२३ ॥ कुलगिरिपासायसमा पासाया एसु णिअणिअपहूणं । तह लावणजोइसिआ दगफालीहउड्ढलेसागा। ॥ २२४॥ जामुत्तरदीहेणं दससयसमपिहुल पण सयुच्चेणं। उसुयारगिरिजुगेणं धायइसंडो दुहविहत्तो ॥ २२५ ॥ 3४१ For Private And Personal Use Only

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