Book Title: Shastra Sandeshmala Part 23
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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॥ ८४ ॥
॥ ८७॥
णवरं ते विजयंता स खयरपणपण्णपुर दुसेणीआ । एवं खयरपुराई सगतीससयाई चालाई
॥ ८२ ॥ गिरिवित्थरदीहाओ अडुच्च चउ पिहुपवेसदाराओ। बारसपिहुलाउ अडच्चयाउ वेअड्ढ दुगुहाओ ॥ ८३ ॥ तम्मज्झदुजोअणअंतराउ ति ति वित्थराओ दुणईओ। उम्मग्गणिम्मग्गाओ कडमगाओ महाणईगयाओ इह पइभित्तिं गुणवण्णमंडले लिहइ चक्कि दु दु समुहे। पणसयधणुहपमाणे बारेगडजोअणुज्जोए
॥ ८५ ॥ सा तमिसगुहा जीए चक्की पविसेइ मज्झखंडतो। उसहं अंकिअ सो जीए वलइ सा खंडगपवाया || ८६॥ कयमालनट्टमालयसुराओ वद्धइणिबद्धसलिलाओ। जा चक्की ता चिटुंति ताओ उग्घडिअदाराओ बहिखंडतो बारसदीहा नववित्थडा अउज्झपुरी । सा लवणा वेअड्ढा चउदहिअसयं चिगारकला चक्किवसणइपवेसे तित्थदुगं मागहो पभासो अ। ताणंतो वरदामो इह सव्वे बिहुत्तरसयंति
॥ ८९ ॥ भरहेरखए छ छ अरमयावसप्पिणिउसप्पिणीरूवं । परिभमइ कालचक्कं दुवालसारं सया वि कमा
॥ ९० ।। सुसमसुसमा य १ सुसमा २ सुसमदुसमा य ३ दुसमसुसमा य ४ । दुसमा य ५ दुसमदुसमा ६ कमुक्कमा दुसु वि अरछक्कं ॥९१ ।। पुबुत्तपल्लिसमसयअणुग्गहणा णिट्ठिए हवइ पलिओ। दसकोडिकोडिपलिएहिं सागरो होइ कालस्स
॥ ९२ ॥ सागरचउतिदुकोडाकोडिपिए अरतिगे नराण कमा। आऊ तिदुइगपलिआ तिदुइगकोसा तणुच्चत्तं
॥ ८८ ॥
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