Book Title: Shastra Sandeshmala Part 23
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 339
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org पिल्लज्जा णिव्वसणा खरवयणा पिअसुआइठिइरहिआ । थीओ छवरिसगझा अइदुहपसवा बहुसुआ य Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इअ अरछक्केण वसप्पिणि त्ति उसप्पिणी वि विवरीआ । वीसं सागरकोडाकोडीओ कालचक्कम्मि कुरुदुगि हरिरम्मयदुगि हेमवरण्णवइदुगि विदेहे । कमसो सयावसप्पिणि अरयचउक्काइसमकालो हेमवरण्णव हरिवासे रम्मए अ रयणमया । सद्दावर विअडावर गंधावइ मालवंतक्खा चट्ट विअड्ढा साइ अरुणपउमप्पभाससुरवासा । मूलुवरि पिहुत्ते तह उच्चत्ते जोयणसहस्सं मेरू वट्टो सहसकंदो लक्खूसिओ सहस्सुवरिं । दसगुण भुवि तं सणवइ दसिगारंसं पिहुलमूले पुढवुवलवयरसक्करमयकंदो उवरि जाव सोमणसं । फलिहंकरययकंचणमओ अ जंबूणओ सेसो तदुवरि चालीसुच्चा वट्टा मूलुवरि बार चउ पिहुला । वेरुलिआ वरचूला सिरिभवणपमाणचेइहरा चूलातलाउ चउसय चउणवई वलयरूवविक्खंभं । बहुजलकुण्डं पंडगवणं च सिहरे सवेईअं पण्णासजोअणेहिं चूलाओ चउदिसासु जिणभवणा । सविदिसि सक्कीसाणं चउ वाविजुआ य पासाया कुलगिरि चेइहराणं पासायाणं चिमे समट्ठगुणा । पणवीस रुंददुगुणायामाउ इमा उ वावीओ 332 For Private And Personal Use Only ॥ १०६ ॥ ॥ १०७ ॥ ॥ १०८ ॥ ॥ १०९ ॥ ॥ ११० ॥ ॥ १११ ॥ ॥ ११२ ॥ जिणहरबहि दिसि जोअण पणसय दीहद्धपिहुल चउउच्चा अद्धससिसमा चउरो सिअकणयसिला सवेईआ ॥ ११३ ॥ ॥ ११४ ॥ ॥ ११५ ॥ ॥ ११६ ॥ । ॥ ११७ ॥

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