Book Title: Shanti Pane ka Saral Rasta
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 12
________________ शांत भी हो; जो कि अपने जीवन में मन की शांति का स्वामी भी हो और अपनी ओर से पैसे वाला अमीर समृद्ध भी हो। यदि ऐसा कोई व्यक्ति मिल जाए और वह तुम्हें छू दे तो राजन्, तुम उसी समय स्वस्थ हो जाओगे।' कहते हैं उस सम्राट् इब्राहिम के सैनिक और सिपाही पूरी दुनिया में छा गए, मगर जब थक-हार कर लौट कर आए, तो वे अपने साथ एक भी आदमी को नहीं ला पाए, क्योंकि उन्हें ऐसा कोई भी समृद्ध और सफल व्यक्ति न मिल पाया कि जिस व्यक्ति ने अपनी ओर से दावा किया हो कि वह वास्तविक तौर पर अपनी मानसिक शांति का स्वामी है। सैनिकों को खाली हाथ लौटा हुआ देखकर फकीर ने कहा, 'राजन्, मुझे तो पहले ही पता था कि ऐसा इनसान धरती पर नहीं मिलेगा, जिसकी एक हथेली में शांति हो और दूसरी हथेली में अमीरी और समृद्धि हो। दोनों में से एक ही चीज मिल सकती है। राजन्, अब तुम अपने आप में फैसला करो कि तुम्हें अपनी जिंदगी के लिए क्या चाहिए? शांति का रास्ता चाहिए या सफलता का रास्ता? शांति का रास्ता तुम्हें ईश्वर की तरफ ले जाएगा और सफलता का रास्ता तुम्हें पैसा और अमीरायत की तरफ ले जाएगा।' सोचो, सोच-सोचकर सोचो कि तुम्हें कौन-सा रास्ता चाहिए। यह कहानी हमें यह सोचने पर मज़बूर करती है कि हमें जीवन में क्या चाहिए? आप स्वयं अपने आप में यह सोचें, अपने आप में यह निर्णय करें कि आपको अपनी जिंदगी में कौन-सा रास्ता चाहिए। यदि आप ईश्वर के रास्ते पर चलना चाहते हैं तो पैसे के प्रति रहने वाले मोह का त्याग करना पड़ेगा। अगर समृद्धि की तरफ चलना चाहते हैं तो ईश्वरीय भाव को अपने जीवन की नगरिया से बाहर निकाल देना होगा क्योंकि दोनों चीजें एक साथ नहीं रह सकती हैं। मैं अगर सौ तरह के छातीकूटे अपने माथे पर झेलूँगा तो मेरी शांति गिरवी चली जाएगी। दो चीजों को एक साथ कतई नहीं रखा जा सकता है। क्या आपने कभी दो बीवियों से शादी करने वाले व्यक्ति की हालत देखी है? एक पत्नी से शादी करोगे तो सुखी रहोगे और दो औरतों से शादी कर बैठे तो टाँग खिंचाई करवाते-करवाते ज़िन्दगी ख़त्म हो जाएगी। एक पत्नी तुम्हारी निर्णय कीजिए- शांति चाहिए या सफलता? ११ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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