Book Title: Shanti Pane ka Saral Rasta
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 88
________________ वही, खोल दो तब भी वही। आप अपने दिमाग को देखो, वह सहज है या बोझिल? चिंताग्रस्त है या संतुष्ट? अवसादभरा है या शांतिमय? मन विक्षिप्त है या आनंदपूर्ण? निश्चय ही दिमाग में दस किलो का वजन तो ढोया जा सकता है, पर यदि कोई उस पर दस क्विटल का वज़न ढोने का प्रयास करेगा, तो तय है कि वह वज़न ढोने से पहले ही गिर पड़ेगा। चिंता, तनाव, अवसाद भी एक सीमा तक हों, तो वे ढोये जा सकते हैं, पर अनलिमिट हों, तो अधिक गैस से गुब्बारा फूटेगा ही। आकाश में उड़ते गुब्बारे संतुलित हवा भरने का संकेत देते हैं। असंतुलित हवा भरने से तो पेट भी फूटेगा, गुब्बारा भी फूटेगा।। सहजता का सिद्धांत हमें समझाता है कि जीवन को, जीवन की गतिविधियों को सहजता से करो। अति तनाव में किया गया काम और ध्यान भी निष्फल हो जाते हैं। अपने हर कार्य को सहजता से करो। कपड़े भी सहज पहनो; भोजन भी सहजता से करो। उठो-बैठो भी सहजता से। धर्म-कर्म भी सहजता से करो। ध्यान में भी सहजता को मूल्य दो। यानी कुल मिलाकर एक फैसला कर लो कि जीवन को सहजता से जिएँगे। सहजता से जुड़ा हुआ दूसरा बिन्दु है सकारात्मकता। आप जीवन के प्रति सकारात्मक रहिए। सम्बन्धों के प्रति सकारात्मक रहिए। कार्यकलाप और बोल-बरताव को सकारात्मकता से कीजिए। अनुकूल वातावरण में तो सकारात्मक रहें ही, विपरीत वातावरण में भी स्वयं को सकारात्मक रखें। सकारात्मकता यानी पोजिटिवनेस। सकारात्मकता यानी हर हाल में शांति और सौम्यता। सकारात्मकता यानी दूसरों को निभाने की कला। सकारात्मकता अर्थात् सलीब पर चढ़ाने वाले के प्रति भी प्रेम और क्षमा का भाव। सकारात्मकता यानी अच्छा व्यवहार, अच्छा नज़रिया, अच्छा कार्य। कहते हैं: अमेरिका के राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन के पास एक दिन आजीवन सजा प्राप्त एक कैदी का पत्र प्राप्त हुआ। यह एक ऐसे कैदी का पत्र था जिसने दस वर्ष अमेरिका की जेल में बिताये। उस कैदी ने दस वर्ष शांति के साथ जेल में बिताने के बाद एक अच्छे नागरिक का जीवन जीने की तमन्ना के अनुसरण कीजिए आनंददायी धर्म का ८७ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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