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प्रेम; शांति चाहिए या समृद्धि?
मेरी बातें जो मैं निवेदन कर रहा हूँ - वे महज बातें नहीं हैं, वे जीवन की उस सच्चाई से मुलाक़ात कराने वाली बातें हैं जो आपके जीवन में तय करवा देना चाहती हैं कि आप अपने लिए शांति का रास्ता चाहते हैं या सफलता का रास्ता चाहते हैं। ज़िंदगी में एक बात का हमेशा ख़्याल रखें कि ज़िन्दगी में दोनों रास्तों को एक साथ नहीं जिया जा सकता है। जैसे दो नावों पर एक साथ सवारी नहीं की जा सकती और दो सड़कों पर एक साथ नहीं चला जा सकता, वैसे ही या तो शांति का रास्ता मिलेगा और या फिर सफलता का रास्ता मिलेगा। शांति और सफलता इन दोनों रास्तों को एक साथ वही व्यक्ति जी सकता है जिसने अपने लिए दोनों तरह के संसार में काम करने का गुर सीख लिया हो।
इसे आप यों समझिए। एक पुरानी कहानी बताती है कि एक सम्राट रुग्ण हो गया। बीमार होने के बाद जब सारे राजवैद्यों ने अपनी ओर से जवाब दे दिया तब दूर-दराज से आए एक फक़ीर को भी राजा को दिखाया गया। फ़क़ीर ने राजा को ध्यान से देखा, भीतर से भी और बाहर से भी; फिर जोर से खिलखिला कर हँस पड़ा और कहने लगा, 'अरे राजा, तू भी क्या बेवकूफ बनाता है? अरे! तुझे तो कोई रोग ही नहीं है, तू तो केवल ढोंग रच रहा है।' यह सुनकर राजा को भी आश्चर्य हुआ और अगल-बगल खड़े लोगों को भी। फ़क़ीर ने कहा, 'मैं दावे के साथ कहता हूँ कि तुम्हारे शरीर में कोई भी रोग नहीं है।' राजा ने कहा, 'फ़क़ीर, तुम बिल्कुल सच कहते हो, हक़ीकत में मुझे शरीर का कोई रोग नहीं है, अगर मुझे कोई रोग है तो वह मानसिक रोग ही है और मुझे रोग यह है कि मुझे मेरी मानसिक शांति उपलब्ध नहीं है। मैं हर समय चिन्ताग्रस्त, तनावग्रस्त, अवसाद और कुंठा से घिरा हुआ हूँ। यही मेरा सबसे बड़ा रोग है। क्या तुम मुझे मेरे रोग से मुक्त कर सकते हो?'
फ़क़ीर ने मुस्कराते हुए कहा, 'राजन्, यदि तुम्हें ठीक होना है तो अपने सैनिकों, सिपाहियों, सभासदों और मंत्रियों से कह दो कि वे पूरी दुनिया में चले जाएँ और ऐसे किसी व्यक्ति को ले आएँ जो कि सफल भी हो और
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शांति पाने का सरल रास्ता
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