Book Title: Shanti Pane ka Saral Rasta
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 27
________________ सोनी से जुड़े हुए ही सारे दृश्य और कथन उभरकर आयेंगे। जब आप शांति का चैनल अपने भीतर चलाएँगे, तो शांति तत्त्व ही साकार होने लगेगा। आप अपने जीवन में, अन्तर्मन में सदा एक ही चैनल चलाइये और वो है शांति का चैनल। संकल्प कीजिए कि मैं हर हाल में शांतिमय रहूँगा। शांति ही मेरी पूंजी है, शांति ही मेरी वसीयत है। शांति ही मेरा धर्म और शांति ही मेरी संतान होगी। आपका यह संकल्प ही आपके भीतर शांति के भाव को प्रगाढ़ करेगा। क्या आपने कभी देखा है कि जब पत्नी पीहर चली जाती है तो आपके मन में किस तरह के विचार उठकर आते हैं? पत्नी से जुड़े हुए ही आया करते है। और जब पत्नी से जुड़े हुए विचार आते हैं तो शायद और-और भी विचार आते होंगे कि अरे! तू तो चली गई पर मेरी रातें हराम कर गई। ...हँस रहे हो। कभी-कभी आदमी को हँसना भी चाहिए- अपनी बेवकूफी पर। क्योंकि यह आदमी के मन की दशा है। जैसा सोचोगे, फिर वैसा ही दृश्य भीतर आता चला जाएगा। पत्नी का चैनल स्टार्ट करोगे तो पत्नी से जुड़े हुए विचार और दृश्य उभर कर आएँगे। दुकान का चैनल, बच्चों का चैनल शुरू करोगे तो दिमाग़ में वैसे ही विचार उभर कर आएँगे। मन तो बावला है। जो दिशा दोगे, वह उधर की ही परिणति देना शुरू कर देगा। जब आप ध्यान में बैठकर शांति का चैनल, शांति का प्रयोग, शांति का अनुष्ठान करोगे, स्वयं को शांतिमय बनाने की धारणा करोगे, तो सब कुछ सहज शांतिमय, शांतिमय, शांतिमय होता चला जाएगा। मैं शांति को प्रणाम करता हूँ। यह मानते हुए कि जिसके चित्त की स्थिति शांतिमय है वह सचमुच दुनिया में संत आदमी है। जिस व्यक्ति के चित्त में लगातार क्रोध, चिन्ता, तनाव भरा हुआ रहता है उस व्यक्ति से ज्यादा दयनीय स्थिति भला और किसकी हो सकती है ! इसी तरह जिस व्यक्ति के अन्तर्मन में शांति नहीं है, जब देखो तब चिन्ता, तनाव, चिड़चिड़ापन और गुस्सा है तो यह उस आदमी की अन्तर-आत्मा की बहुत दयनीय अवस्था ही हुई। २६ शांति पाने का सरल रास्ता Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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