Book Title: Shanti Pane ka Saral Rasta
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 66
________________ आपसे मुलाकात कर रहा हूँ। बस, आपकी यह मानसिकता, आपकी यह सचेतनता ही धीरे-धीरे आपकी बोधि की ओर, संबोधि की ओर, शांति की ओर, दिव्यता और प्रभुता की ओर ले जाती चली जाएगी। आज इतना ही अनुरोध है। आइए, अब हम सचेतनता की साधना हेतु ध्यान में उतरें, ध्यान में खुद को तन्मय करें, श्वास-धारा के साथ स्वयं को एकलय करें। सचेतनता में छिपी है शांति की साधना ६५ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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