Book Title: Shanti Pane ka Saral Rasta
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

View full book text
Previous | Next

Page 81
________________ अनुसरण कीजिए आनंददायी धर्म का साधना-शिविर का आज समापन सत्र है। सात दिन तक आप सभी महानुभावों का यहाँ पर प्रवास रहा। न जाने कौन किस दिशा, नगर या प्रदेश से यहाँ पर साधना करने के लिए पहुंचा है। अलग-अलग नगरों से आने के बावजूद एक परिवार के भाव के साथ आप सभी लोग यहाँ पर हिल मिल कर रहे । सुविधाएँ मिलने के बावजूद कई तरह की असुविधाओं का भी सामना करना पड़ा होगा, लेकिन इसके बावजूद आप लोगों ने मन, वचन और काया से स्वयं को साधना के लिए, स्वयं की शांति के लिए, स्वयं के वास्तविक आनन्द और अन्तस्-चेतना से रूबरू होने के लिए समर्पित किए। आज के दौर में साधक कहाँ मिलते हैं, लेकिन इसके बावजूद आप लोगों ने अपने-आप को साधना के लिए आत्मार्थ भाव से समर्पित किया इसके लिए मैं आप सभी साधक भाई-बहनों का प्रेमपूर्वक अभिवादन, अभिनन्दन और आत्मनमन समर्पित करता हूँ। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98