Book Title: Shanti Pane ka Saral Rasta
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 38
________________ स्वयं को मुस्कान का साहचर्य दो। साँस लो और मुस्कराओ। जाती हुई साँस का अनुभव करते हुए भी मुस्कुराओ। मुस्कान यानी आपकी आँखों का नूर, मुस्कान यानी आपके कानों का संगीत, मुस्कान अर्थात् जीवन की सुवास, मुस्कान यानी जीवन का स्वाद, मुस्कान यानी हर हाल में मन में आनंद । जीवन की उदासीनताओं और चिन्ताओं को दूर करने की एकमात्र औषधि है मुस्कान, अधिक से अधिक मुस्कराना। आप अपना एक ही LOGO बना लें, जीवन का एक ही महामंत्र बना लें और वो है : मुस्कान दीजिए, मुस्कान लीजिए ।सबको एक ही उपहार दूंगा- मुस्कान। और सबसे एक ही सौगात लेऊँगा- इससे कम में समझौता नहीं करूँगा। मुस्कान दिखने में सीधा-सरल शब्द है, पर अगर अपना लो तो आपके आभामंडल को बेहतर बना सकता है। जीवन की धाराओं को गंगा का पानी बना सकता है। मुरझाए फूल के लिए सूरज की किरण का काम कर सकता है। क्रोध को, अवसाद को, चिंता को, ईर्ष्या को, जीवन में घर कर चुके नुक्शों को दूर करने के लिए यह दृढ़ संकल्प ले लीजिए कि मैं हर हाल में मुस्कान से भरा रहूँगा। आप ताज्जुब करेंगे कि जीवन से अनायास क्रोध, चिंता, अवसाद, उग्रता कम होने लगी है। तो सबको मुस्कान दीजिए। माँ को भी मुस्कान दीजिए और पत्नी को भी मुस्कान दीजिए। भाई को भी मुस्कान दीजिए और पुत्र को भी मुस्कान दीजिए। जीवन को खुशहाल बनाने का यह सीधा-सरल मंत्र है। जाओ, जाकर किसी मज़लूम के आँसू पोंछो। फिर कहीं जाके ये समझोगे इबादत क्या है? जीवन में सच्ची इबादत क्या है? वही जो तुम मंदिर से निकलते समय करोगे, किसी अनाथ बच्चे के आँसू पोंछकर उसे मुस्कान दोगे। यदि हम अपने सौ वर्ष के जीवन में यदि सौ लोगों को भी जीवन की मुस्कान देने में सफल होते हैं, तो निश्चय ही आप सफल हुए। मुस्कान दीजिए, मुस्कान लीजिए ३७ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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