Book Title: Shanti Pane ka Saral Rasta
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 57
________________ मैं स्वयं को शांतिमय और ज्ञानमय बना रहा हूँ। .....मन और प्राणों की गहराई में उतारकर स्वयं का अनुभव कर रहा हूँ। .....चेतना के असाधारण स्वरूप का ध्यान कर रहा हूँ। .....स्वयं को आनन्दमय और समाधिमय बना रहा हूँ। .....स्वयं को शांतिमय बना रहा हूँ .....समाधिमय बना रहा हूँ। प्रज्ञामय बना रहा हूँ..... आत्ममय और आनन्दमय बना रहा हूँ। सोहम् ! हे प्रभु! मुझे अपनी कृपा का पात्र बनाओ कि मैं स्वयं को समाधिमय बना सकूँ, सत्यमय और आनन्दमय बना सकूँ। ५६ शांति पाने का सरल रास्ता Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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