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वाली है । आपकी भावना को सफल करने के लिए आपके सुपुत्र श्रीमान् सेठ मिलापचन्दजी साहब सदैव तत्पर रहते हैं। प्रापकी इच्छानुसार सघ ने--'श्रीमती पतासबाई बोहरा जैन ग्रंथमाला' चालू करने का निश्चय किया है। यह पुस्तक उस ग्रंथमाला का प्रथम रत्न होगी। इसका मूल्य लागत से आधा ही रखा जा रहा है। और जो धर्मबन्धु और बहिने पर्वाधिराज पर व्याख्यान देने जाते हैं, उन्हे तथा वैसे उपयोगीजनो को अमूल्य भेट देने की व्यवस्था है।
आशा है कि धर्मप्रिय महानुभाव इससे अवश्य लाभान्वित होगे।
सैलाना (म. प्र.)
मार्गशीर्ष शु० ४ शुक्रवार वीर सं २४६३ वि सं २०२३
रतनलाल डोशी १६-१२-१९६६ ई.