Book Title: Samyag Darshan Part 01 Author(s): Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai Publisher: Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai View full book textPage 6
________________ www.vitragvani.com (vi) I जिज्ञासु जीव एक बात विशेष लक्ष में रखें कि सम्यग्दर्शन प्रगट होने के पहले देशनालब्धि अवश्य होती है। छह द्रव्य और नव पदार्थों के उपदेश का नाम देशना है और ऐसी देशना से परिणत आचार्य आदि की उपलब्धि तथा उनके द्वारा उपदिष्ट अर्थ के श्रवण- ग्रहण - धारण और विचारणा के शक्ति के समागम को देशनालब्धि कहते हैं । (देखो, षटखण्डागम पुस्तक 6 पृष्ठ 204 ) । सत्यरुचि पूर्वक सम्यग्ज्ञानी के निकट से उपदेश का साक्षात् श्रवण किए बिना देशनालब्धि नहीं हो सकती । इसलिए जिसे सम्यग्दर्शन प्रगट करके इस संसार के जन्म-मरण से छूटना हो, पुनः नई माता के पेट में बन्दी न होना हो उसे सत्समागम का सेवन करके देशनालब्धि प्रगट करना चाहिए। एक क्षणभर का सम्यग्दर्शन करके देशनालब्धि प्रगट करना चाहिए। एक क्षणभर का सम्यग्दर्शन जीव के अनन्त भवों का नाश करके उसे भव- समुद्र से पार ले जाता है, और आत्मिक-सुख का स्वाद चखाता है। जिज्ञासु जीवो! इस सम्यक्त्व की दिव्य महिमा को समझो और सत्समागम से उस कल्याणकारी सम्यक्त्व को प्राप्त करके इस भवसमुद्र से पार होओ ! – यही इस मानव जीवन का महान कर्त्तव्य है । - वीर सं. 2487 रामजी माणेकचन्द दोशी प्रमुख श्री दिगम्बर जैन स्वाध्यायमन्दिर, सोनगढ़ Shree Kundkund - Kahan Parmarthik Trust, Mumbai.Page Navigation
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