Book Title: Samvedna Upnishadonu Sarvangin Adhyayan
Author(s): Kashyap Mansukhlal Trivedi
Publisher: R R Lalan Collage

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Page 544
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra (११) रु. जा, उप. ४६ (१२) पु. कास्य गोत्रापत्ये युषा गर्गा वज् यमन्तत्वात् यनि कक् । ह (१२५) प्रा. च. कोश पृ. १७१ (125) 1. 2. 3.219.4 ( १२७) प्रा. च. कोश पृ. १६४ (१२८) www. kobatirth.org ( १२१ ) विश्वामित्रवंश्या.....। (१२२) कतवंश्य सोमदत्त द्विजपुत्रः वसुदत्तागर्भज: वररुचिनाम्पा स्यातच्च । (123) छा. उ. ४.३ ( १२४ ) ....मेोऽसीति कौषीतकिः पुत्रमुवाच प्राणाॐ भूमानभिगाययतादहवी व मं भविष्यन्तीति....।। ..ग्लावो या मैत्रयः स्वाध्यायमुद्रा । (१३०) शशपृष्ठात् गौतम:..... TW वाचस्पत्यम् । - छा. उप. १.५.४ (१२८) सह हारिदुमत गौतममेत्योवाच ब्रह्मचर्यं भगवति.....॥ (१३३) छा. उप. ५.११.१ - छा. उप. ९.१२.१ (130) (21) अनिर्वशिष्ठो भगवान् कश्यपश्च महानृषिः । गौतमच भरद्वाजो विश्वामित्रसाथैव च ॥ छ. उप. ४.४.३ - पु. ४६३ - (हरिवंश) (१३१) तद्वैतत्सत्यकामो जावालो मोश्रुतये वैयाघ्रपद्यायो तत्वोवाच ॥ छा. उप. ५.२.३ (१७२) तद्वैतर आङ्गिरस कृष्णाय देवकीपुत्र पोक्त्वोषाचा पिपास एवं स..... - छा. उप. ३.१७.५ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ૫૧૪ For Private And Personal Use Only

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