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काउस्सग्ग करनेसे पहले निम्नलिखित सूचनाएँ पढ़ें
सालभरमें एक या दो दिन प्रतिक्रमण करनेवाले महानुभावोंके लिए ४० लोगस्स या १६१ नवकारकी गिनतीका स्मरण रखना बहुत मुश्किल होता है। फलतः सैंकड़ों व्यक्ति संपूर्ण संख्यामें काउस्सग्ग नहीं कर पाते। कुछ ऐसे लोग भी है, जो दिमागको तनिक भी श्रम देनेको तैयार नहीं हैं। वे सोचते हैं कि जब गिनती याद ही नहीं रहती, तो फिर काउस्सग करनेसे भला क्या लाभ ? इसी लिए वे काउम्सग करना ही छोड़ देते हैं और मौन होकर बैठे रहते हैं।
कछ अन्य लोग संख्याकी गिनतीके लिए माला लेकर बैठते हैं। कछ उंगलियों के पोरसे गिनती करते हैं। लेकिन यह पद्धति विधि-विधानसे विरुद्ध है। अतः वास्तविक परिस्थितिको लक्ष्यमें लेकर लाभालाभकी द्रष्टिसे, यहाँ बिलकुल नई पद्धति प्रस्तुत की है। तदनुसार इस पुस्तकमें तीन चित्र दिये गये हैं। काउस्सग करनेवालोंको चाहिए कि उन्हें जो अनुकूल हो, उस चित्रको दष्टि समक्ष रखकर, स्थिर बैठकर, एकाग्रतापूर्वक काउस्सग्ग करें। यह चित्रपद्धति केवल बैठे बैठे काउस्सग करनेवालोंके लिए ही उपयोगी होगी।
- आवश्यक सूचनाएँ - १. काउस्सग्ग करते समय काउस्सग्गके चित्रको नज़र समक्ष रखें। २. फिर प्रत्येक कोष्ठकमें जाप करते हुए अरिहंतकी मूर्तिकी कल्पना
करनेके साथ कोष्ठकमें ध्यान केन्द्रित करें। ३. जाप करते समय अरिहंतकी मूर्तिकी कल्पना करें और नवकार
गिनना संपूर्ण हो जाने तक कोष्टककी बराबर धारणा रखें। ४. लोगस्स आता हो उन्हें (चंदेसुनिम्मलयरा० तक) वही गिनना
चाहिए। जिन्हें न आता हो, वे ही नवकार गिनें।. ५. बिना किसी आधारके, सीधे तनकर बैठिये । न ही हिले-डुलें। इधर
उधर देखें नहीं। दूसरोके साथ कोई बातचीत भी न करें। ६. मनकी शुद्धि एवं एकाग्रता बनाये रखें।