Book Title: Samvar Muni Charitram
Author(s): Vardhamansuri, Hiralal Hansraj
Publisher: Hiralal Hansraj

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Page 3
________________ संवरमुनि सान्वय चरित्रं भाषांतर ॥श्रीजिनाय नमः ॥ ( श्रीचारित्रविजयगुरुभ्यो नमः) (सान्वयं गूर्जरभाषांतरसहितं च) ॥ श्रीसंवरमुनिचरित्रं प्रारभ्यते ॥ (मूलकर्ता-श्रीवर्धमानसूरिः) अन्वय तथा गुजराती भाषांतर कर्ता-पंडित श्रावक हीरालाल हंसराज-जामनगरवाळा सत्कर्माभ्युदये हेतुं शीलं सेव्यमिदं सताम् । दुःकर्मदारि सत्कर्मकारि सेव्यतमं तपः ॥ १ ॥ अन्वयः-सत्कर्म अभ्युदये हेतुं इदं शीलं सतां सेव्यं, दुःकर्म दारि, सत्कर्म कारि तपः सेव्यतम. ॥१॥ अर्थः-उत्तम कर्मोना अभ्युदयमाटे कारणरूप आ शीलने सज्जनोए सेववं, तथा दुष्कर्मोनो विनाश करनारो, अने सत्कर्मोने करनारो तप विशेष प्रकारे सेववो. ॥१॥ NAGARIHAR

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