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मारुतिनन्दन प्रसाद तिवारी
बिहार-उड़ीसा-बंगाल
इस क्षेत्र में केवल उड़ीसा की खण्ड गरि की नवमुनि एवं बारभुजी गुफाओं से हो रोहिणी की मूर्तियाँ (११वों-१२वीं शती ई०) मिली है । नवमुनि गुफा की मूर्ति में अजित को यक्षी चतुर्भुजा है, और उसका वाहन गज है। यश्ची के हाथों में अभयमुद्रा, वज्र, अंकुश और तीन काँटे वाली कोई वस्तु प्रदर्शित है । किरीटमुकुट से शोभित यक्षो के ललाट पर तीसरा नेत्र उत्कीर्ण है। यक्षी के निरूपण में गजवाहन एवं वज्र और अंकुश का प्रदर्शन हिन्दू इन्द्राणी (मातृका) का प्रभाव है। बारभुनी गुफा में अजित के साथ द्वादशभुजा रोहिणो आमूर्तित है । वृषवाहना रोहिणी की अवशिष्ट दाहिनो भुजाओं में वरदमुद्रा, शूल, बाण एवं खड़ा और बायों में पाश (१), धनुष, हल, खेटक, सनाल पद्म एवं घण्टा (?) प्रदर्शित हैं । यक्षी को एक बायों भुना वक्षःस्थल के समक्ष स्थित है। यक्षी के साथ वृषभवाहन एवं धनुष और बाण का प्रदर्शन रोहिणी महाविद्या का प्रभाव है । बारभु जी गुफा को एक दूसरी मूर्ति में रोहिणी अष्टभुजा है । वृषभवाहना यक्षी के शीर्ष भाग में गज-लांछन युक्त अजितनाथ की मूर्ति उत्कीर्ण है। रोहिणी के दक्षिण करों में वरदमुद्रा, पताका, अंकुश और चक्र एवं वाम करों में शंख (१), जलपात्र, वृक्ष की टहनी और चक्र हैं ।" नवमुनि एवं बारभुजी गुफाओं की मूर्तियों के विवरणों से स्पष्ट है कि इस क्षेत्र में रोहिणी की लाक्षणिक विशेषताएँ स्थित नहीं हो पायीं थीं ।
विश्लेषण : सम्पूर्ण अध्ययन से स्पष्ट है कि ल० दमवीं शती ई० में यक्षी की स्वतन्त्र मूर्तियों का उत्कीर्णन प्रारम्भ हुआ, जिनके उदाहरण ग्यारसपुर (मालादेवी मन्दिर), देवगढ़ · · एवं उड़ीसा में नवमुनि और बारभुजी गुफा ओ से मिले हैं । दिगम्बर स्थलों की इन मूर्तियों . में रोहिणी के निरूपण में अधिकांशतः श्वेतांबर महाविद्या रोहिणी की विशेषताएँ ग्रहण की
गयीं । केवल मालादेवी मन्दिर की मूर्ति में ही वाहन और आयुधों के सन्दर्भ में दिगम्बर परम्परा का निर्वाह किया गया है । सन्दर्भ सूची:
(१) द्रष्टव्य, भट्टाचार्य, बी०सी०, दि जैन आइकानोग्राफी, लाहौर,१९३९, पृ०९३ । (२) हरिवंशपुराण ६६. ४३-४४, तिलोयपण्णत्ति ४. ९३४-३९ ।।
(३) द्रष्टव्य, शाह, यू०पी०, 'इण्ट्रोडक्शन आव शासनदेवताज इन जैन वरशिप', प्रोसिडिंग्स ऐण्ड ट्रान्जेक्शन्स आव दि आल इन्डिया ओरियण्टल कान्फरेन्स, २०वा अघि. वेशन, भुवनेश्वर, १९५९, पृ०१४७ ।
(४) तिलोयपण्णत्ति ४. ९३४--३९ । (५) प्रवचनसारोद्धार ३७५-७८ । (६) यह भूर्ति संप्रति इलाहाबाद संग्रहालय (क्रमांक २९३) में सुरक्षित है । (७) मन्त्राधिराजकल्प ।
(८) समुत्पन्नामजिताभिधानां यक्षिणी गौरवर्णा लोहासनाधिरूढां चतुर्भुजां वरदपाशाधिष्ठितदक्षिणकरां बीजपरकांकशयुक्तवामकरां चेति ॥ निर्वाणकलिका १८.२ ।
(९) त्रिषष्टिशलाकापरुषचरित २.३. ८४५-८४६, पदमानन्द महाकाव्य : परिशिष्ट-अजितस्वामोचरित्र २१-२२; मन्त्राधिराजकल्प ३. ५२ ।
(१०) आचारदिनकर ३४, पृ० १७६; देवतामूर्तिप्रकरण ७. २१ ।
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