Book Title: Samaysara Part 01 Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain Publisher: Apbhramsa Sahitya AcademyPage 61
________________ 43. एवंविहा बहुविहा परमप्पाणं वदंति दुम्मेहा। ते ण परमट्ठवादी णिच्छयवादीहिं णिहिट्ठा॥ एवंविहा ऐसे बहुविहा अनेक प्रकार के परमप्पाणं पर को (एवंविह) 1/2 वि (बहुविह) 1/2 वि [(परं)+ (अप्पाणं)] परं (पर) 2/1 वि अप्पाणं (अप्पाण) 2/1 (वद) व 3/2 सक (दुम्मेह) 1/2 वि (त) 1/2 सवि वदंति दुम्मेहा आत्मा कहते हैं अज्ञानी al a अव्यय परमळुवादी णिच्छयवादीहिं णिट्ठिा [(परमट्ठ)-(वादि) 1/2 वि] (णिच्छयवादि) 3/2 वि (णिद्दिट्ट) भूकृ 1/2 अनि नहीं परमार्थवादी निश्चयवादियों द्वारा कहे गए अन्वय- एवंविहा बहुविहा दुम्मेहा परमप्पाणं वदंति णिच्छयवादीहिं ते परमट्ठवादी ण णिहिट्ठा। अर्थ- ऐसे अनेक प्रकार के अज्ञानी (व्यक्ति) पर को आत्मा कहते हैं। (किन्तु) निश्चयवादियों (आत्मदृष्टिवालों के) द्वारा वे परमार्थवादी (अध्यात्मवादी) नहीं कहे गए हैं)। (54) समयसार (खण्ड-1)Page Navigation
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