Book Title: Samaysara Part 01
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy
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अभूदत्थ
अरस
अरूव
अरूवि
अवर
अविसेस
अव्वत्त
असद्द
असब्भूद
असंमूढ
· इदर
अलिंगग्गहण तर्क से ग्रहण न
होनेवाला
एक्क
एवंविह
केवल
केवलि
खीण
जाणग
रसरहित
रूपरहित
अरूपी
णाणमइअ
णाणि
अन्य
अंतरंग भेद-रहित
अप्रकट
शब्दरहित
अनात्मा में स्थित
अविद्यमान
ज्ञानी
इसके विपरीत
इनसे इतर / अन्य
केवलमात्र
अनुपम
ऐसे
एकमात्र
केवली
क्षीण
ज्ञायक
ज्ञानमय
ज्ञानी
समयसार (खण्ड-1
-1)
49
49
38
49
40, 41, 42
14, 15
49
2 2 2 2 5 6 8 1 a
49
22
25
65
36,37
38
43
9
33 883
28
11
6,7
38
7,35
(105)
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