Book Title: Samaysara Part 01
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 119
________________ कोई 58, 62 11, 27, 31, 42 निस्सन्देह निश्चय ही 38 किन्तु और 13, 59, 65 . तथा पादपूरक 23, 39 चावि और भी 6, 16, 18, 26, 62, 67 जइया जदि जम्हा 5, 25, 26, 62 10,57 क्योंकि चूँकि जैसे जहेव 8, 17, 30, 35 57 समानता व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त जब तक क्योंकि 4, 5, 8, 22, 26, 27, 29, समयसार (खण्ड-1) (112)

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