Book Title: Samaysara Part 01 Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain Publisher: Apbhramsa Sahitya AcademyPage 121
________________ इसलिए 3, 26 E 17 25 TE 6, 22 - किन्तु पादपूरक 8, 33, 55, 68 तथा 12, 42 निस्सन्देह 26, 39, 56, 57, 62 परन्तु कि दे पयत्तेण पादपूरक सावधानीपूर्वक तृतीयार्थक अव्यय B 21, 38 12, 16 17 18, 21 पुव्वं मिच्छा मिथ्या और 26 13, 18, 19, 27, 50, 52, 53, 55, 64, 65 (114) समयसार (खण्ड-1)Page Navigation
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