Book Title: Samaysara Part 01
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 120
________________ णत्थि णवरि णाम णिच्चं णेव णो तइया तत्थ तम्हा तह तह य तहा ताव तु न नहीं है केवल पादपूरक सदैव सदा नही नहीं न नहीं तब वहाँ इसलिए वैसे ही उसी प्रकार उसी रूप तथा तथा और तब तक पादपूरक समयसार (खण्ड-1) 30, 38, 43, 50, 51, 52, 53, 55, 56, 57, 58 6, 7, 50, 51, 54 36, 37, 50, 51, 52, 53, 61, 62 4 17,35 16,68 24 51, 52, 53, 55 52, 54 52 51,54 33 47, 48 10, 34 8,35 59 64 18 23,40 39 19 9, 22, 32 (113)

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