Book Title: Samaysara Part 01
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 110
________________ असक्कं घेत्तव्व विधिक अनि 8 विधिकृ अनि 5 संभव नहीं ग्रहण किया जाना चाहिये समझा जाने णादव्व विधिकृ योग्य 34,57 समझा जाना चाहिये मुणेदव्व समझा जाना विधिक चाहिये सक्कं समर्थ विधिकृ अनि 8 सद्दहेदव्व श्रद्धा किया विधिक 18 जाना चाहिये सेविदव्वाणि आराधन किया विधिक 16 जाना चाहिये वर्तमान कृदन्त अयाणंत न जानता हुआ वह 39 जाणंत जानता हुआ वक थुव्वंत स्तुति करता वकृ कर्म अनि 30 हुआ मुस्संत वकृ कर्म अनि 58 लूटा जाता हुआ उदय में आता हुआ विपच्चमाण वकृ समयसार (खण्ड-1) (103)

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