Book Title: Samaysara Part 01
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 83
________________ 65. एक्कं च दोण्णि तिण्णि य चत्तारि य पंच इन्दिया जीवा। - बादरपज्जत्तिदरा पयडीओ णामकम्मस्सा एक्कं एक दोणि तिण्णि तीन चत्तारि (एक्क) 1/1 वि अव्यय और (दो) 1/2 वि (ति) 1/2 वि अव्यय पुनरावृत्ति भाषा की पद्धति (चउ) 1/2 वि चार अव्यय (पंच) 1/2 वि पाँच (इन्दिय) 1/2 इन्द्रिय (जीव) 1/2 जीव [(बादरपज्जत्त)+ (इदरा)] [(बादर) वि-(पज्जत्त) वि- बादर, पर्याप्त और (इदर) 1/2 वि] इनसे इतर (पयडि) 1/2 (णामकम्म) 6/1 नामकर्म की इन्दिया जीवा बादरपज्जत्तिदरा पयडीओ प्रकृतियाँ णामकम्मस्स अन्वय- एक्कं च दोण्णि तिण्णि य चत्तारि य पंच इन्दिया बादरपज्जत्तिदरा जीवा णामकम्मस्स पयडीओ। अर्थ- एक, दो, तीन, चार और पाँच इन्द्रिय, बादर, पर्याप्त और इनसे इतर (सूक्ष्म और अपर्याप्त) जीव- (ये) नामकर्म की प्रकृतियाँ (हैं)। (76) समयसार (खण्ड-1)

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