Book Title: Samaysara Part 01
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 107
________________ गा.सं. 17 कृदन्त-कोश संबंधक कृदन्त अर्थ कृदन्त जानकर जानकर जीतकर समझकर जानकर स्तुति करके कृदन्त शब्द जाणिऊण जाणिदुं जिणित्ता णाऊण णादणं थुणित्तु पस्सिदूण पस्सिदुं 31, 32 देखकर देखकर वंदन करके वंदित्तु गाहे, हेत्वर्थक कृदन्त पढ़ने/ हेक समझने के लिए कहने के लिए हेकृ अनि 25 49 अणिहिट्ठ अणुभूद भूतकालिक कृदन्त न कहा हुआ भूकृ अनि अनभव किया भूकृ अनि हुआ अस्पर्शित भूक अनि कर्मबंधन-रहित भूकृ अनि अबद्ध अपुट्ठ 14, 15 14, 15 अबद्ध 23 (100) समयसार (खण्ड-1)

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