Book Title: Samaysara Part 01 Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain Publisher: Apbhramsa Sahitya AcademyPage 73
________________ 55. व य जीवाण ण वय जीवट्ठाणा ण गुणट्ठाणा य अत्थि जीवस्स । जेण दु एदे सव्वे पोग्गलदव्वस्स परिणामा ॥ गुणाणा य अत्थि जीवस जेण दु एदे सव्वे पोग्गलदव्वस्स परिणामा अव्यय अव्यय ( जीवट्ठाण ) 1/2 अव्यय ( गुणट्ठाण ) 1/2 अव्यय अव्यय (जीव ) 6 / 1 अव्यय अव्यय (द) 1/2 सवि (सव्व) 1/2 सवि [ ( पोग्गल ) - ( दव्व) 6/1] (परिणाम) 1/2 सव्वे पोग्गलदव्वस्स परिणामा । नही और जीवस्थान नहीं है, क्योंकि ये सभी पुद्गलद्रव्य के परिणमन ( है ) । (66) गुणस्थान और जीव के क्योंकि अन्वय- य णेव जीवट्ठाणा य जीवस्स गुणट्ठाणा ण अत्थि जेण दु एदे पादपूरक ये सभी पुद्गलद्रव्य के परिणमन अर्थ- और न ही जीवस्थान ( है ) और जीव के गुणस्थान ( भी ) नहीं समयसार (खण्ड-1)Page Navigation
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