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समवसरण.
कपूरचंदजी लक्ष्मीचंदजी के वहां से स्वर्ण मुद्रिका और सज्जनों की ओर से सुवर्ण और मुक्ताफल के स्वस्तिक और रूपये श्रीफलों से पूजा हुई करीबन ३५०) की आमंद हुई जिस रकम का कलश करवाना श्री संघ से ठहराव हुवा है । दो पहर को शान्तिस्नात्र पूजा बडे ही समारोह के साथ भणाई गई थी जैन जैनेतर लोगों से धर्मशाला चक्कार बद्ध भर गई थी, कार्य बडी ही शांति पूर्वक हुआ । इस सुअवसरपर श्री संघकी ओर से नई बनाई इन्द्रध्वजा की प्रतिष्टा. छव्वीस मण घृत की बोली से शाह जबरमलजी मानमलजी की तरफ से हुई । अन्त में शाह गंगारामजी तारूजी के वहां से श्रीफल की प्रभावना पूर्वक सभा विसर्जन हुई ।
इस महोत्सव के अंदर देवद्रव्य में करीबन १५००) आमंद हुई । यह कार्य श्री संघकि सहायता से बड़े ही शान्ति, और धर्मप्रेमके साथ हुआ था और गांवमें भी शांति का साम्नाज्य वर्त गया था।
___ चैत्र वद ५ को मुनिश्रीजी, यतिवर्य, और सकल संघ श्री सेसली मण्डन प्रभु पार्श्वनाथकी यात्रा करी, यहां श्रीमती केशरबाईकी श्रोरसे पूजा प्रभावना हुई ।
इस पवित्र महोत्सव के कारण वाली में ही नहीं पर आसपास के गांवोमें जैनधर्मकी खूब ही अच्छी प्रभावना हुई और समाजमें धर्म जागृति के साथ उत्साह बढ रहा है ।
चैत्र वद १२ के रोज श्रीमान् पन्यासजी श्री ललितविजयजी महाराज आदी मुनि और वरकाणा विद्यालय के विद्यार्थीमय मास्टरों के