Book Title: Samavsaran Prakaran
Author(s): Gyansundar Muni
Publisher: Ratnaprabhakar Gyanpushpmala

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Page 17
________________ समवसरण प्रकरण. (३) प्रभुके शरीर का खून गौदूध सदृश होता है । (४) प्रभुका श्वासोश्वास कमल संदृश सुगंधित होता है। (५) प्रभुका आहार निहार छद्मस्थ देख नहीं सक्ता, (६) प्रभुके आगे धर्मचक्र चलता है. (७) प्रभुके उपर छत्रत्रय रहता है. (८) प्रभुके उपर चामरयुग उडते है. (६) प्रभुके विराजने को रत्नसिंहासन होता है. (१०) प्रभुके आगे इन्द्रध्वजा चलती रहती है, (११) प्रभुके साथ अशीकवृक्ष रहता है. (१२) प्रभुके साथ भामण्डल रहता है. (१३) प्रभु जहां २ विचरते है वहां पचवीस २ योजन तक भूमि समान हो जाति है. (१४) प्रभु जहां २ विचरते है वहां पचवीस २ योजन तक कांटे सीधे के ओंधे अर्थान् अधोमुख हो जाते है. (१५) प्रभु जहां २ विचरते है वहां पचवीश २ योजन तक ऋतु अनुकुळ हो जाति है. (१६) प्रभु जहां २ विचरते है वहां पचबीस २ योजन तक शितल मंद सुगंधि वायु से भूमि सुगन्धित हो जाति है. (१७) प्रभु जहां २ विचरते है वहां पचवीस २ योजन तक जल से भूमि शुद्ध पवित्र हो जाति है. ..

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