Book Title: Samavsaran Prakaran
Author(s): Gyansundar Muni
Publisher: Ratnaprabhakar Gyanpushpmala

View full book text
Previous | Next

Page 26
________________ ov छे भींते २०० धनुष्य ३३ ध० ३२ आ० Y ," १ ४ २ ३ समवसरण का प्रमाण. " ७ प्रकोट प्रकोट के अन्तर ७८०० धनुष्यका. १३०० धनुं १३०० २३ २६०० १३०० ३०० धनुं ६ भिते और प्रकोट का अन्तर सामिल करने से ८००० धनुष्य. अर्थात् एक योजन होता है. अब प्रकोट २ के बीच में अंतर बतलाते हैं कि चांदी के प्रकोट और स्वर्ण के प्रकोट के बीच में ५००० सोवारणा अर्थात् पागोतीये होते हैं । प्रत्येक एक हाथ के ऊंचे और पहूले होने से १२५० धनुष हु और दरवाजे के पास ५० धनुष का परतर ( सम जगह ) एवं १३०० धनुष का अन्तर है । और स्वर्णप्रकोट और रत्नप्रकोट के बीच में भी पूर्वोक्क १३०० धनुष का अंतर है मध्य भाग में २६०० धनुष का मणिपिठ है । ओर दूसरी तरफ दोनों अन्तर का २६०० धनुष एवं २०० | २६००

Loading...

Page Navigation
1 ... 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46