Book Title: Samavsaran Prakaran
Author(s): Gyansundar Muni
Publisher: Ratnaprabhakar Gyanpushpmala

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Page 11
________________ समवसरण. - हम बाली के जैन स्वयंसेवकों की सेवाको भी नहीं भूल सक्ते कि जिन्होंने तन तोड कर समाज सेवा का अमूल्य लाभ प्राप्त किया था । समवसरण के दर्शनार्थी गामान्तर से पधारे हुए स्वधर्मी भाइयों का स्वागत ( भोजन वगेरह से ) निम्नलिखीत सद्गृहस्थों की तरफ से हुआ था: फाल्गुन सुद १२ शाम को साह कसनाजी देवाजी के वहां , , १३ सुबह शाह रामचंदजी तारूजी के , , , १३ शाम को साह खुसालजी धूलाजी के ,, , , १४ सुबह शाह निहालचंदजी श्रीचन्दजीके ,, ,, १४ शाम को शाह भीखाजी दलाजी के ,, , , १५ सुबह शाह समरथमलनी मेघराजजीके,, , ,, १५ शामको मुलतानमलजी सागरमलजीके.. चैत्र वद १ सुबह शाह प्रेमचंदजी गोमाजी के वहां ,, ,, १ शाम को शाह जीवराजजी हजारीमलजी के वहां पर विशेषता यह थी कि आपकी तरफ से पावणो के साथ गांव स्वामिवात्सल्य भी हुआ था। चैत्र वद २ सुबह शाह टेकचंदजी भूताजी के वहां ,, ,, २ शाम को शाह भूताजी कस्तूरचंदजी के वहां

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