Book Title: Samavsaran Prakaran
Author(s): Gyansundar Muni
Publisher: Ratnaprabhakar Gyanpushpmala

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Page 12
________________ वालीके वर्तमान. ,,,, ३ सुबह शाह सहसमलजी आसूजी समवसरण रचानेवालों की तरफसे चैत्र वद ३ शाम को भी शाह सहसमलजी श्रासुजी के वहां पावणो के साथ गांव स्वामीवात्सल्य था । गोडवाड में करबा की भी प्रथा है, जो दहीके अंदर चावल बादाम, दाखें, इलायची वगेरह डाल कर के अच्छा स्वादिष्ट बनाया जाता है मिष्टान्न जीमने वालों के लिए यह हाजमी पदार्थ और भी फायदेमंद है इस महोत्सव में पधारे हुए महेमानों के लिए शाह अजेराजजी कोठारी और वजेराजजी गैमावत की तर्फसे करबा का स्वागत हुआ था। समवसरण के महोत्सव दरम्यान ४ वरघोडा मय बेंड बाजा और नकार निशान के साथ बड़े ही धामधूम के साथ चढाए गए थे जिस की भव्य सुन्दरता और जन संख्या का फोटू भी लिया गया था। - वरघोडा में पधारनेवाले स्वधर्मी भाइयों का स्वागत निम्नलिखीत सज्जनोंने ठंडाई मसाला और सर्कग के पाणी से किया था (१) साह भूतानी रायचंदजी ( २ ) साह सरदारमलजी मगनाजी । (३) शाह गुणेसमलजी जोराजी तथा नवलाजी चमनाजी ( ४ ) शाह जबरमलजी पूनमचंदजी चैत्र वद ३ के दिन को सुबह चैत्य महा पूजा हुई, जिस में शाह सहसमलजी आसूजी के वहां से स्वर्ण मुद्रिका तथा शेठजी

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