Book Title: Sajjanachittvallabh
Author(s): Mallishenacharya, Suvidhisagar Maharaj
Publisher: Bharatkumar Indarchand Papdiwal

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Page 6
________________ ११ १० १५ २२ wwwwwwसजनचिनवल्लभ www अनुक्रमणिका श्लोकांक विषय पृष्ठांक मंगलाचरण और प्रतिज्ञा मुनि की शोभा चारित्र से है केवल नग्नता ही मुनित्व नहीं है साधु का लक्षण धनादि की कामना का निषेध मुनियों का कर्तव्य स्त्रीकथा का त्याग शरीर का स्वरूप शरीर की दुर्गन्धयुक्तता स्त्रियों को दूर से ही छोड़ने की प्रेरणा शरीर का मोह त्यागने की प्रेरणा स्वार्थ के कारण सम्बन्ध होते हैं त्यागी हुई वस्तु को पुनः ग्रहण करने का निषेध २५ धर्म करने की प्रेरणा १५. मोह का त्याग करने की प्रेरणा मनुष्यायु कैसे व्यतीत होती है? परीषह सहन करना चाहिये संघ में रहने का आदेश शरीर से निर्ममत्व रहने की प्रेरणा उनका जीवन निष्फल हो जाता है दुर्लभत्व का बोध २२. स्त्री संगति का निषेध ४१ स्त्रियों पर विश्वास करने का निषेध शरीर के संस्कार का निषेध ४५ ग्रंथ का उपसंहार ४७ श्लोकानुक्रम हमारे उपलब्ध पूर्व प्रकाशन १४. १७. १८. १९. २०. २१. ४२ २५ 00 ४९ 100

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