Book Title: Raja Pradeshi aur Keshikumar Diwakar Chitrakatha 056 Author(s): Shreechand Surana Publisher: Diwakar Prakashan View full book textPage 4
________________ राजा प्रदेशी और केशीकुमार श्रमण अचानक उसका ध्यान भरतक्षेत्र की तरफ गया। उसने आमशाल वन में समवसरण में विराजमान भगवान महावीर को देखा। सूर्याभदेव का हृदय भक्ति रस सेगद्गद् हो गया। उसने तुरन्त सिंहासन से उतरकर भगवान को वन्दना की हे धर्म की अति करने वाले लोक पूज्य प्रभु मैं आपको वन्दना करता हूँ। आप तो सर्वज्ञ हैं, वहाँ । रहे आप मुझे यहाँ देख रहे हैं। OYAVOYAYOOD OYSTY5 Commons पुनः सिंहासन पर बैठकर सूर्याभ देव ने अपने आभियोगिकदेवोंसेकहाहम पृथ्वी पर आमलकप्पा नगरी में विराजमान श्रमण भगवान महावीर के दर्शन करने जायेंगे। तैयारी करो। orno Elin Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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