Book Title: Raja Pradeshi aur Keshikumar Diwakar Chitrakatha 056
Author(s): Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 29
________________ राजाप्रदेशी औरकेशीकुमार श्रमण रानीनेसुबह उठकरअपने हाथों सेराजाकेपारणेकेलिए। मौका देखकररानी ने भोजन सामग्री में तेज भोजन आदिबनाया दासियों सेकहा जहर मिला दिया। अपने कपड़ों आदि पर भीजहर काचूर्ण छिड़कलिया। VAVAVAVAVANAVANANAVANAYANANA तुमसब जाओ! महाराज को आज मैं अब देखती हूँ इस अपने हाथों से भोजन विषके प्रभाव सेराजा कराऊँगी कैसे बचता है। राजापारणा के लिये महलों में आया। रानी ने प्रेम और भक्तिजताते हुएकहा- मैं धन्य हूँ! आज आप मेरे हाथ काबना भोजन करेंगो राजा कुछ नहीं बोला। शांत भावसेआकरआसन पर बैठगया। रानीपरोसतीगई राजापारणाकरने लगा। कुछ ही देर में राजा के शरीर में तेज जलन होने लगी। सिर चकराने लगा। जी मिचलाने लगा। चमड़ी पर फफोलेसेहोनेलगा ओह! लगता है (इस भोजन में रानी जे विष मिला दिया। Jain Education International For Private Personal Use Only www.jainelibrary.org

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