Book Title: Raja Pradeshi aur Keshikumar Diwakar Chitrakatha 056
Author(s): Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 28
________________ वत्स! ऐसे बेकार राजा को खत्म कर तुम्हें राजभार संभाल लेना चाहिए न ? एक दिन दासी ने कहा रानी जी! कल महाराज को षष्ट तप (बेले) का पारणा है। क्या तैयारी करूँ ? Jain Education International राजा प्रदेशी और केशीकुमार श्रमण ना ! ना ! मात् ! ऐसी बात मुँह से कहना भी मता मैं तो कानों से सुनना भी पसन्द नहीं करता। क्या मैं पितृघात का महापाप कर डालूँ ना ना ! और वह उठकर चला गया।। यह अच्छा मौका है। मैं आज अपनी योजना पर अमल करूँगी। 26 रानी ने सोचा फिर दासी से बोली For Private & Personal Use Only यह तो बात बिगड़ गई। मेरे षड्यंत्र की भनक राजा को लग गई तो मुझे कुत्ते की मौत मार डालेगा। और वह दिन-रात राजा को मारने की ताक में रहने लगी। तुम क्या करोगी ! मैं खुद महाराज को अपने हाथों से पारणा कराऊँगी। पति सेवा तो पत्नी का धर्म जो है। www.jainelibrary.org

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